Sunday, 1 October 2017

ना अब नहीं


 
पक रही है कढ़ी
   भूख सिर पर खड़ी

 भात है चांदनी

धूप सी  है कढ़ी

 
   माँ कहे सब्र कर

भात में है कसर

ना अब नहीं

भूख सिर पर खड़ी

 
झट खिला दे मुझे

भात के संग कढ़ी