Tuesday, 17 April 2018

मुन्नी और मैं --देवेन्द्र कुमार-- बाल गीत


मुन्नी और मैं—देवेन्द्र कुमार—बाल गीत


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पापा बोले-- घर की मुश्किल

मम्मी बोली-कैसे सुलझे

मुन्नी कहती मुझसे पूछो

मुन्ना बोला-मैं बतलाऊं

 

पहला नंबर मम्मीजी का

इनको बहुत काम रहता है

घर की भागदौड़ से लड़कर

दफ्तर भी जाना होता है

 

छुटकारे का यही तरीका

रोबो इनके लिए मंगाएं

घर के सारे काम करे वह

मम्मीजी बस हुक्म चलाएं

 

बात करें अब पापाजी की

हरदम दफ्तर दफ्तर करते

हंसना-खिलना भूल गए हैं

बच्चे इनसे बेहद डरते

 

हंसने वाली गुडि़या लाकर 

नके  कमरे में रख आएं

जब पापा को गुस्सा आए

गुडि़या हंसकर उन्हें रिझाए

 

अब मुन्नी और मेरा नंबर

हम दोनों पर आफत भारी

यह कर, वह कर, ना कर, मत कर

कहने की सबको बीमारी

 

एक परी जो जादू कर दे

हम देानों दो दो हो जाएं

मुन्नी और मैं कहना मानें

मुन्नी और मैं मजे उड़ाएं

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मेरा सपना --देवेन्द्र कुमार-- बाल गीत


मेरा सपना==देवेन्द्र कुमार ==बाल गीत

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आंगन में था पेड़ घना
 

हरे-हरे पत्ते थे उसके

झूम-झूमकर हमें बुलाते

कड़ी धूप में खेला करते

हरियल छाता रहे तना

 

उस पर कितने पंछी रहते

सुबह-शाम थे शोर मचाते

सावन में झूला पड़ता था

सबको लगता था अपना

 

बाबा को बेहद प्यारा था

मम्मी हर दिन दीप जलातीं

मैं ऊपर चढ़कर छिप जाता

चाहे कोई करे मना

 

एक दिन काली आंधी आई

सारी रात चला तूफान

सुबह उठे तो देखा हमने

न जाने कब गिरा तना

 

आंगन में छाया सन्नाटा

सारे पंछी चले गए थे

बाबा ने खाना न खाया

मैंने भी कर दिया मना

 

फिर पापा एक पौधा लाए

सबने मिलकर उसे लगाया

मुझसे बोले-पानी देना

यह तो है तेरा सपना

 

हां जी हां, मेरा सपना

आंगन में हो पेड़ घना

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Sunday, 8 April 2018

महारानी जी--देवेन्द्र कुमार --बाल गीत


महारानीजी—देवेन्द्र कुमार –बाल गीत
 

एक दिन पापा बोले मां से

सुनो जरा महारानी जी!

सच बोलूं तो सुनकर मुझको

बहुत हुई हैरानी जी
 
 

मैंने पढ़ा सुना किस्सों में

कुछ न करती रानी जी

बोलो क्यों फिर मम्मी मेरी

नल से भरती पानी जी
 
 

पापा से पूछा तो बोले

तेरी मां है सच्ची रानी

कथा कहानी में जो पढ़ते

वह तो समझो नकली रानी
 

असली होती तो किस्सों में

यों छिपकर ना बैठी होती

इस दुनिया में बाहर आकर

तेरी मम्मी जैसी रहती

 
मैं भी झट फिर हंसकर बोला

मेरी मम्मी रानी जी

पापा ने आवाज लगाई

सुनो जरा महारानी जी

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Tuesday, 3 April 2018

पानी को धोना है-- देवेन्द्र कुमार-- बाल गीत


पानी को धोना है---देवेन्द्र कुमार –बाल गीत

      पानी के हाथ नहीं          -             

      फिर भी बुलाये

       पैर नहीं देखो

       चलता ही जाए

        उतरा पहाड़ों से

         बारिश में नहाया

         खेतों में फ़ैल गया

         हरियाली लाया

          शहरों से निकला

          मुंह काला करके

           नालों में अटका

            कीचड में फंस के

            आओ सब मिलकर

            पानी को धोएं

            गन्दा जो करते

             जी भर के रोयें =====