Monday, 27 April 2020

कमाऊ बेटा-बाल गीत --देवेन्द्र कुमार


कमाऊ बेटा—देवेन्द्र कुमार 

------------------------------------------

कमाऊ बेटा

दुलारा, आंखों का तारा

लेटा है

यह भी एक ढंग है

कमाने का।

कुछ खास  छोटा भी नहीं

तीन माह, दस दिन का

 

मैली कथरी पर

वह और कुछ सिक्के

कुछ नहीं बोलता

आंख नहीं खोलता

 

रो रही है मां

बाप पीटता है पेट

 ऐ बाबू लोगो!

सौगंध भगवान की

इसके नन्हे कलेजे में

हैं हजार छेद।

इलाज को मिल जाए

पैसा दो पैसा...

 

किसी ने फेंके कुछ सिक्के

कोई यूं ही गुजर गया

समाज ने बांट लिया उसे

और चाहे कुछ हो न हो

सूखा कुआं

मां-बाप का

जरा तो

गीला हो ही जाएगा!

वह सहे जाएगा

धूप और तपिश

मां-बाप का दुलारा

आंखों का तारा

अभी से बन गया

लाठी

बुढ़ापा मां-बाप का

आए न आए

इसलिए चुप लेटा है

कमाऊ बेटा है।

=======

No comments:

Post a Comment