मेहनत
सोलह साला
ठेलेवाला
सत्तर का है
मेहनत
सोलह साला
जल्दी
जल्दी माल चढ़ाए
बदन
पसीना खूब बहाए
पूछो
तो हंसकर कहता है
काम
करूं मैं आला
सुबह
अंधेरा रात अंधेरी
लगती
है पहियों की फेरी
नहाता
धोता कब खाता है
मेहनत
का मतवाला
मैले
कपड़े आदत उजली
उसकी
नीयत कभी न फिसली
घर
में बिजली-पानी सपना
जीवन
है जंजाला।
ठेलेवाला
सत्तर का है
मेहनत
सोलह साला
No comments:
Post a Comment