Saturday, 10 February 2018

हंसी बिना घर


हंसी कहां रहती है भैया

जल्दी उसको लेकर आएं

चुप चुप चाय में मिलवाकर

अपने पापा को पिलवाएँ

 

वह तो हंसना भूल गए हैं

बात-बात पर गुस्सा करते

सबको डरकर रहना पड़ता

बोलो कहां किधर हम जाएं

 

मम्मी ने पूछा तो बोले

खेलकूद बच्चों का काम

हरदम हंसने वाले बच्चे

जीवन में पीछे रह जाएं

 

पापा-मम्मी, कुछ तो समझो

हंसी बिना घर रहे अधूरा

जब सब मिलकर हंसे तभी हम

घर से डर को दूर भगाएं

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