अपना रमिया—बाल गीत—देवेन्द्रकुमार
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अपना रमिया गूंगा है
फिर भी कुछ-कुछ कहता है
शोर बहुत उसकी चुप्पी में
सुनो सुनो क्या कहता है
जब भी देखो हंसता रहता
उसका हंसना मीठा है
होंठ नहीं आंखें बोलें
समझो वह क्या कहता है
लट्टू सा घूमे घर भर में
पैर नहीं जैसे पहिए
बिना थके सब करता जाए
बड़के भैया जैसा है।
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