Monday, 18 February 2019

अपना रमिया--बाल गीत--देवेंद कुमार


अपना रमियाबाल गीत—देवेन्द्रकुमार

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अपना रमिया गूंगा है

फिर भी कुछ-कुछ कहता है

शोर बहुत उसकी चुप्पी में

सुनो सुनो क्या कहता है
 

जब भी देखो हंसता रहता

उसका हंसना मीठा है

होंठ नहीं आंखें बोलें

समझो वह क्या कहता है
 

लट्टू सा घूमे घर भर में

पैर नहीं जैसे पहिए

बिना थके सब करता जाए

बड़के भैया जैसा है।

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Saturday, 9 February 2019

जादूगरनी--बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


जादूगरनी—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार

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सूरज डूबा हुआ अंधेरा

जादूगरनी आई

चूनर ओढ़ सितारों  वाली

कैसे है मुसकाई

 

माथे पर चंदा की बिंदी

उससे झर झर झरे चांदनी

नदियां, पोखर हैं चांदी के

जादू-- छड़ी घुमाई

 

पीछे पीछे नींद उतरती

आंखों में है सपने भरती

काम थके आराम करें हम

वाह क्या रात बनाई।====

 

Monday, 4 February 2019

गजब मिठाई-बाल गीत-देवेन्द्र कुमार


गजब मिठाई—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार

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पापा थैले में कुछ लाए

बोले-यह है नई मिठाई
 

ना रसगुल्ले, ना यह बरफी

बालूशाही, नहीं इमरती

हलवाई से दूर रहे यह

ऐसी है यह अजब मिठाई
 

मैंने पूछा नाम बताओ

मां बोलीं-आंखों से खाओ

जल्दी से जो थैला खोला

हमें मिली क्या खूब मिठाई
 

दो नाटक और बीस कथाएं

कुछ पन्नों ने गीत सुनाए

पढ़कर मैं पापा से बोला

आंखें मांगें और मिठाई
 

मम्मी ने हंस कर समझाया    

छक कर खाओ गजब मिठाई

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हंसगुल्ले रसगुल्ल-बाल गीत-देवेन्द्र कुमार


हंसगुल्ले  रसगुल्ले==देवेन्द्र कुमार ==बाल गीत

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लपको उठाओ

गप से खा जाओ

सबसे बचाओ
 
 

यह है गौशाला

पहले दूध निकाला

काली का, धौली का

बाद में उबाला

छेना निकाला

बने चंदा से गोल

हुए रसमय अनमोल

गोल रसगुल्ले हंसगुल्ले

 

दो तेरे दस मेरे

इसी तरह दस फेरे

अच्छा अच्छा

दस तेरे सौ मेरे

इसी तरह सौ फेरे

खाएं खिलाएं

खाते ही जाओ

हां, हां लाते ही जाओ

गोल रसगुल्ले

हंसगुल्ले!

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मीठी अम्मा--बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


मीठी अम्मांबाल गीत-देवेन्द्र कुमार


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ताक धिना धिन

ताल मिलाओ

हंसते जाओ

गोरे गोरे

थाल कटोरे

लो चमकाओ
 

चकला-बेलन

मिलकर बेलें

फूल फुलकिया

अम्मां मेरी

खूब फुलाओ
 

भैया आओ

मीठी-मीठी

अम्मां को भी

यहां बुलाओ।
 

प्यारी अम्मां

सबने खाया

अब तो खाओ!

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Friday, 1 February 2019

अजब किताब--बालगीत--देवेन्द्र कुमार


अजब किताब—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार

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आते जाते पल का भैया

सोच-समझकर रखो हिसाब

छोटी-छोटी बातें मिलकर

एक बनेगी बड़ी किताब

 

पढ़ा लिखा था तुमने कितना

और बताओ कितना खेले

कब मम्मी की बात न मानी

कितनी बार झूठ बोले थे

 

काम न करने पर टीचर से

कब कब पड़ी कहो फटकार?

कैसे हंसे, रुलाया किसने

पड़े पीठ पर कितने मुक्के

 

पापा क्यों गुस्सा होते हैं

मम्मी कब हंसती हैं भैया

दादी के चश्मे का शीशा

कब टूटा था?

 

ऐसी ही कितनी ही बातें

खट्ठी-मीठी प्यारी बातें

याद करोगे तो फिर मिलकर

एक बनेगी बड़ी किताब

 

यह तो होगी प्यारी प्यारी

हंसनी-रोनी अजब किताब

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