उनका मौसम
गरमी
को पानी से धोएं
बारिश
को हम खूब सुखाएं
जाड़े
को फिर सेंक धूप में
अपनी
दादी को खिलवाएं
कैसा
भी मौसम आ जाए
उनको
सदा शिकायत रहती
इससे
तो अच्छा यह होगा
उनका
मौसम नया बनाएं
कम
दिखता है, दांत नहीं हैं
पैरों
से भी चल न पातीं
बैठी-बैठी
कहती रहतीं
न
जाने कब राम उठाएं
शुभ-शुभ
बोलो प्यारी दादी
दर्द
भूल कर हंस दो थोड़ा
आंख
मंूदकर लेटो अब तुम
बच्चे
सुंदर लोरी गाएं
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