गपोड़शंख—बाल गीत—देवेन्द्र
कुमार
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पेड़ों को पैर दूंगा
फूलों को पंख
और क्या करूं बोलो
मैं हूं गपोड़शंख
बस्ते से भाग गई
मुश्किल पढ़ाई
इसमें रख दिए मैंने
खेल-कूद भाई
मम्मीजी कहती हैं
मुझको गपोड़ी
इसमें भी गप्प
मिली है थोड़ी थोड़ी
कैसी कही कैसी रही
सच कहना भाई
हम सबने खाई जो
गप्प की मिठाई।
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