जादू
के गुब्बारे—देवेन्द्र कुमार –बाल गीत
गुब्बारे वाला आता है
नंगे पैर, फटे
कपड़े हैं
फिर भी वह हंसता रहता है
बच्चों का मन बहलाता है
कहता-परियों के गुब्बारे
इसीलिए तो प्यारे-प्यारे
तभी बिना पंखों के उड़ते
यों बातों से बहकाता है
गुब्बारों को दोस्त बताता
कहता हैं हम संग-संग रहते
रातों में ये बातें करते
सुनकर बड़ा मजा आता है
दो कानों में लटकाए हैं
‘ये गुब्बारे मेरे गहने’
कहकर दूर चला जाता है।
गुब्बारे वाला आता है।=====