Thursday, 29 March 2018

जादू के गुब्बारे --देवेन्द्र कुमार-- बाल गीत


जादू के गुब्बारेदेवेन्द्र कुमार –बाल गीत
 

गुब्बारे वाला आता है

नंगे पैर, फटे कपड़े हैं

फिर भी वह हंसता रहता है

बच्चों का मन बहलाता है

 
कहता-परियों के गुब्बारे

इसीलिए तो प्यारे-प्यारे

तभी बिना पंखों के उड़ते

यों बातों से बहकाता है

 
गुब्बारों को दोस्त बताता

कहता हैं हम संग-संग रहते

रातों में ये बातें करते

सुनकर बड़ा मजा आता है

 
दो गुब्बारे सिर पर बांधे

दो कानों में लटकाए हैं

ये गुब्बारे मेरे गहने

कहकर दूर चला जाता है।

गुब्बारे वाला आता है।=====

Saturday, 24 March 2018

मूंगफली --देवेन्द्र कुमार --बाल गीत


मूंगफली---देवेन्द्र कुमार—बाल गीत

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मूंगफली री मूंगफली

तेरे संग क्यों दाल चली।

गरमी में तेरी छुट्टी

इसने क्यों की है कुट्टी

इसे जरा समझा दे

वरना जाएगी यह खूब तली

 
सर्दी में तुम फिर आना

साथ गजक को भी लाना

इसकी हालत ऐसी होगी

रोएगी यह गली गली
 

पानी में फिंकवाऊंगा

हाथी से पिसवाऊंगा

घोड़ों को खिलवाऊंगा

लोग कहेंगे दाल गली

मूंगफली री मूंगफली।

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गई मिठाई--देवेन्द्र कुमार --बाल गीत


हप्प मिठाई---देवेन्द्र कुमार –बाल गीत


अरे!

बोलो कैसे

खत्म मिठाई

सच-सच बोलो

किसने खाई

वरना होगी

बहुत पिटाई।

 
चुप है रामू

चुप है हीरा

नहीं बोलती

कुछ भी मीरा

 
गप्प मिठाई

हप्प मिठाई

जो करना है

कर लो भाई

क्या बोलेगी

हज़म मिठाई

ऐसे मुंह में

गई मिठाई

अब तो लाओ

और मिठाई

हप्प मिठाई

गप्प मिठाई

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Thursday, 22 March 2018

आँखें --देवेन्द्र कुमार --बाल गीत


आंखें ===देवेन्द्र कुमार ===बाल गीत
 

आंखें मेरी मम्मी की

बड़ी-बड़ी सी

गीली गीली

जब जब देखें

प्यार जताएं
 

गुस्सा मेरी मम्मी का

पहले मारे

फिर पछताए

बिना बात ही

गले लगाए
 

रोटी मेरी मम्मी की

हम मिल खाएं

खाते जाएं

पेट भरे

पर मन रह जाए।

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Wednesday, 21 March 2018

मेहमान --देवेन्द्र कुमार --बाल गीत


मेहमान==देवेन्द्र कुमार ==बाल  गीत

 

घर में जब आते मेहमान

मम्मी पापा समझाते हैं
बाबा जी यों धमकाते हैं

ऐसा वैसा अगर किया तो
देखो खूब खिंचेंगे कान
 
जब आएं तो करो नमस्ते

ढंग से रखना अपने बस्ते
जी जी करके धीरे बोलो

रखना अपने घर की शान

 जब पूछें झट नाम बताना
कुछ भी दें बिल्कुल मत खाना

बात करें हम, तुम उठ जाना
हे मेरे भगवान!

 घर में जब आते मेहमान।

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Saturday, 17 March 2018

हंसती रहती झील --देवेन्द्र कुमार-- बाल गीत


हंसती रहती झीलदेवेन्द्र कुमार –बाल गीत


 

सुबह दूध घुल जाता है

फिर नीला रंग आता है

कभी शांत तो कभी मचलती

रंग बदलती रहती झील

 

सखियों के संग मछली रानी

हरदम पीती रहती पानी

कमल-कुमुदिनी के फूलों में

कैसे हंसती रहती झील

 

सूरज भैया आते-जाते

थाली अपनी लाल डुबाते

चंदा के छूते ही देखो

चांदी की बन जाती झील

 

बादल अपने कपड़े धोते

बत्तख-हंस तैरते रहते

आसमान हरदम मुंह देखे

कितना सुंदर दरपन झील!

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Saturday, 10 March 2018

खेलम खेल --देवेन्द्र कुमार --बाल गीत


खेलम खेलदेवेन्द्र कुमार—बाल गीत


 

मुक्का घूंसा फेलम फेल

फेलम फेल

चले मेल का खेलम खेल

खेलम खेल

 

तुम सब मिलकर जल्दी जाओ

जगह-जगह से लेकर आओ

कांटे, पत्थर, बरछे, भाले

इनको होगी जेलम जेल

खेलम खेल

 

बड़ा मैल था मन में भाई

आज करेंगे खूब सफाई

झगड़ा-टंटा फेंक आग में

ऊपर डालो तेलम तेल

खेलम खेल

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