Wednesday, 18 December 2019

अजब आज मौसम--बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


अजब आज मौसमबाल गीत—देवेन्द्र कुमार


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हैं कुहरा नदी पर

या उतरे हैं बादल

 
                                                           

है रूई का परदा

दिखाई न देता

वह बैठा है मांझी

नहीं नाव खेता

अजब आज मौसम

लगें एक जल-थल

 
 

बहुत ठंड भाई

रजाई निकालो

पखेरू ठिठुरते

उन्हें भी बुला लो

करें आज छुट्टी

किताबें पढ़ें कल

 
 
 


हवा है बरफ सी

चलो सिर बचाओ

अंगीठी गरम है

यहीं बैठ जाओ

रसोई में मम्मी

पकौड़े रही तल

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Friday, 22 March 2019

कूड़े वाला भैया--बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


कूड़े वाला भैया==देवेन्द्र कुमार==बाल गीत

 

कूड़े वाला भैया आए

‘कूड़ा दो’- आवाज लगाए
 

झाड़ू से कूड़े को मारे

साफ-सफाई को पुचकारे

कोने कोने को चमकाकर

खुशबू का संदेश सुनाए
 

ऊपर नीचे दौड़ लगाता

रखें सफाई यह समझाता

उसका काम बहुत भारी है

आओ हम भी हाथ बंटाएं
 

दिखता है मैला ऊपर से

पर कितना उजला अंदर से

जहां जहां भी कूड़ा देखे

उसे कैद की सजा सुनाए
 

कूड़े वाला भैया आये

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Monday, 18 February 2019

अपना रमिया--बाल गीत--देवेंद कुमार


अपना रमियाबाल गीत—देवेन्द्रकुमार

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अपना रमिया गूंगा है

फिर भी कुछ-कुछ कहता है

शोर बहुत उसकी चुप्पी में

सुनो सुनो क्या कहता है
 

जब भी देखो हंसता रहता

उसका हंसना मीठा है

होंठ नहीं आंखें बोलें

समझो वह क्या कहता है
 

लट्टू सा घूमे घर भर में

पैर नहीं जैसे पहिए

बिना थके सब करता जाए

बड़के भैया जैसा है।

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Saturday, 9 February 2019

जादूगरनी--बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


जादूगरनी—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार

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सूरज डूबा हुआ अंधेरा

जादूगरनी आई

चूनर ओढ़ सितारों  वाली

कैसे है मुसकाई

 

माथे पर चंदा की बिंदी

उससे झर झर झरे चांदनी

नदियां, पोखर हैं चांदी के

जादू-- छड़ी घुमाई

 

पीछे पीछे नींद उतरती

आंखों में है सपने भरती

काम थके आराम करें हम

वाह क्या रात बनाई।====

 

Monday, 4 February 2019

गजब मिठाई-बाल गीत-देवेन्द्र कुमार


गजब मिठाई—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार

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पापा थैले में कुछ लाए

बोले-यह है नई मिठाई
 

ना रसगुल्ले, ना यह बरफी

बालूशाही, नहीं इमरती

हलवाई से दूर रहे यह

ऐसी है यह अजब मिठाई
 

मैंने पूछा नाम बताओ

मां बोलीं-आंखों से खाओ

जल्दी से जो थैला खोला

हमें मिली क्या खूब मिठाई
 

दो नाटक और बीस कथाएं

कुछ पन्नों ने गीत सुनाए

पढ़कर मैं पापा से बोला

आंखें मांगें और मिठाई
 

मम्मी ने हंस कर समझाया    

छक कर खाओ गजब मिठाई

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हंसगुल्ले रसगुल्ल-बाल गीत-देवेन्द्र कुमार


हंसगुल्ले  रसगुल्ले==देवेन्द्र कुमार ==बाल गीत

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लपको उठाओ

गप से खा जाओ

सबसे बचाओ
 
 

यह है गौशाला

पहले दूध निकाला

काली का, धौली का

बाद में उबाला

छेना निकाला

बने चंदा से गोल

हुए रसमय अनमोल

गोल रसगुल्ले हंसगुल्ले

 

दो तेरे दस मेरे

इसी तरह दस फेरे

अच्छा अच्छा

दस तेरे सौ मेरे

इसी तरह सौ फेरे

खाएं खिलाएं

खाते ही जाओ

हां, हां लाते ही जाओ

गोल रसगुल्ले

हंसगुल्ले!

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मीठी अम्मा--बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


मीठी अम्मांबाल गीत-देवेन्द्र कुमार


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ताक धिना धिन

ताल मिलाओ

हंसते जाओ

गोरे गोरे

थाल कटोरे

लो चमकाओ
 

चकला-बेलन

मिलकर बेलें

फूल फुलकिया

अम्मां मेरी

खूब फुलाओ
 

भैया आओ

मीठी-मीठी

अम्मां को भी

यहां बुलाओ।
 

प्यारी अम्मां

सबने खाया

अब तो खाओ!

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Friday, 1 February 2019

अजब किताब--बालगीत--देवेन्द्र कुमार


अजब किताब—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार

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आते जाते पल का भैया

सोच-समझकर रखो हिसाब

छोटी-छोटी बातें मिलकर

एक बनेगी बड़ी किताब

 

पढ़ा लिखा था तुमने कितना

और बताओ कितना खेले

कब मम्मी की बात न मानी

कितनी बार झूठ बोले थे

 

काम न करने पर टीचर से

कब कब पड़ी कहो फटकार?

कैसे हंसे, रुलाया किसने

पड़े पीठ पर कितने मुक्के

 

पापा क्यों गुस्सा होते हैं

मम्मी कब हंसती हैं भैया

दादी के चश्मे का शीशा

कब टूटा था?

 

ऐसी ही कितनी ही बातें

खट्ठी-मीठी प्यारी बातें

याद करोगे तो फिर मिलकर

एक बनेगी बड़ी किताब

 

यह तो होगी प्यारी प्यारी

हंसनी-रोनी अजब किताब

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Thursday, 24 January 2019

हंसने का स्कूल-बाल गीत--देवेन्द्र कुमार


हंसने का स्कूल—बाल गीत—देवेन्द्र कुमार
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यह है हंसने का स्कूल

 
जल्दी आकर नाम लिखाओ

पहले हंसकर जरा दिखाओ

बच्चे जाते रोना भूल

यह है हंसने का स्कूल

 

पहले सीखो खिलखिल खिलना

बढ़कर गले सभी से मिलना

सारे यहीं खिलेंगे फूल

यह है हंसने का स्कूल

 

झगड़ा-झंझट और उदासी

इनको तो हम देंगे फांसी

हंसी खुशी से झूलमझूल

यह है हंसने का स्कूल।

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कच्ची नींद : पक्की नींद--बाल गीत--देवेन्द्र पक्की कुमार


कच्ची नींद-पक्की नींदबाल गीत -–देवेन्द्र कुमार

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कितनी कच्ची मां की नींद

हौले से जो कोई बोले

भूले से भी बत्ती खोले

झट उठकर सब पर चिल्लाएं

चुरमुर पापड़ उनकी नींद

 

पापाजी की पक्की नींद

चाहे सिर पर बजें नगाड़े

ठुक ठुक कोई कीलें गाड़े

खुर खुर खुर खुर करते रहते

कैसी चिप्पक उनकी नींद

 

अपनी खेल खिलाड़ी नींद

पढ़ते पढ़ते हम सो जाते

सब जब सोते हम उठ जाते

सुबह सवेरे कान पकड़कर

घर से भागे नटखट नींद

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Wednesday, 23 January 2019

बूढा बरगद-बूढ़े बाबा :बाल गीत: देवेन्द्र कुमार


बूढ़ा बरगद: बूढ़े बाबाबाल गीत-देवेन्द्र कुमार   


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बरगद पर हैं कई घोंसले

जाने कितने पंछी रहते

हम पर बाबाजी की छाया

भाग्यवान हमको सब कहते

 

दाढ़ी श्वेत धवल बाबा की

लटक रही बरगद की मूंछें

अपनी हर मुश्किल का हल हम

जा कर बाबाजी से पूछें

 

प्यार, हंसी, गुस्से की गरमी

ये रंग बाबा रोज दिखाते

बरगद की छाया में बच्चे

खूब खेलते शोर मचाते

 

सांझ ढले बरगद के नीचे

अपने बाबा दीप जलाते

हम सबकी फरमाइश पर फिर

सरस कथाएं रोज सुनाते

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