सारे फूल झरे—देवेन्द्र
कुमार –बाल गीत
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पत्ते धूल भरे
देखो छांह डरे
मौसम करता छल
चैन नहीं इक पल
धरती सूख गई
सारे फूल झरे
क्या दिन क्या रातें
गर्मी की बातें
सूरज का गुस्सा
क्या क्या जुल्म करे
ठंड कहां बैठी
गरमी है ऐंठी
बादल आ जाएं
तब हों प्राण हरे
तन पर बर्फ मलो
घर से निकल चलो
पंखे बंद हुए
बिजली खेल करे
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